
Intro: अगर आप Satellite Calling वाले Android फोन ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। 2025 में कई ब्रांड इस एडवांस फीचर को अपने स्मार्टफोन्स में जोड़ रहे हैं। इस गाइड में हम लिस्ट करेंगे वो Android फोन्स जो Calling या SMS via Satellite सपोर्ट करते हैं — और जानेंगे कि भारत में ये कितने काम के हैं।
📡 Satellite Calling क्या है?
यह एक ऐसी तकनीक है जिससे मोबाइल फोन बिना किसी नेटवर्क टॉवर के, सीधे सैटेलाइट के माध्यम से कॉल कर सकता है।
मतलब — जहां मोबाइल सिग्नल नहीं है, वहां भी आप कॉल कर सकते हैं।
यह तकनीक विशेष रूप से इन इलाकों में काम आती है:
- पहाड़ों में
- समुद्र के बीच
- जंगलों में
- आपदाग्रस्त (disaster-hit) क्षेत्रों में
जहां सामान्य मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता।
⚙️ यह कैसे काम करता है ?
इसके पीछे की प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है:
LEO टेक्नोलॉजी का उपयोग :
इसमें LEO (Low Earth Orbit) सैटेलाइट्स का इस्तेमाल होता है। ये सैटेलाइट्स पृथ्वी से लगभग 500 से 2,000 किलोमीटर की ऊँचाई पर होते हैं, इसलिए इनका सिग्नल जल्दी और सीधे फोन तक पहुंचता है। जैसे:
- SpaceX का Starlink नेटवर्क
- Iridium सैटेलाइट नेटवर्क
ये सिस्टम मोबाइल फोन और सैटेलाइट के बीच तेज़ और भरोसेमंद कनेक्शन बनाए रखने में मदद करते हैं।
सबसे पहले, Satellite Calling एक नई और क्रांतिकारी तकनीक बन रही है। दिलचस्प बात यह है कि, Pixel 10 में अब यह सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा, WhatsApp भी satellite messaging की सुविधा शुरू करने की तैयारी में है
प्रमुख Satellite Networks जो इसमें काम आते हैं:-
- Iridium: Low Earth Orbit (LEO) सैटेलाइट नेटवर्क, ग्लोबल कवरेज के लिए प्रसिद्ध।
- Globalstar: LEO नेटवर्क, मुख्यतः मोबाइल सैटेलाइट सेवा के लिए।
- Inmarsat: GEO (Geostationary) सैटेलाइट, समुद्री और हवाई कनेक्टिविटी में उपयोग।
- Starlink (SpaceX): हाल ही में लॉन्च हुआ LEO नेटवर्क, उच्च गति इंटरनेट और कनेक्टिविटी के लिए।
- Thuraya: मुख्य रूप से मध्य पूर्व, यूरोप और एशिया के लिए सैटेलाइट कॉलिंग।
Satellite Phone पर call कैसे लगाते है ?
जब आप एक normal मोबाइल या लैंडलाइन से satellite phone पर कॉल करना हो, तो ये steps अपनाएँ:
- पहला, international access code डालें (जैसे US में 011)
- फिर satellite prefix (Iridium, Inmarsat, Thuraya आदि)
- फिर subscriber number
उदाहरण:
US से Iridium फोन को कॉल करना: 011 8816 31049999
Thuraya का prefix 88216 है
Inmarsat के prefix 870 है
Satellite Phone से call कैसे करें ?
जब आप satellite phone से किसी सामान्य नंबर को कॉल करना चाहें:
- अपने फोन को sky view देना ज़रूरी है
- डायलिंग format: 00 + country code + recipient number
- उदाहरण: 00 1 707 545 8199
iPhone 14 / 15 Series – Emergency SOS via Satellite
Emergency SOS via Satellite क्या है?
यह एक फीचर है जो आपको बिना मोबाइल नेटवर्क के भी इमरजेंसी कॉल या मैसेज भेजने की सुविधा देता है।जब आपका फोन नेटवर्क नहीं पकड़ पाता, तब यह फीचर सक्रिय होता है और आपका SOS सिग्नल सीधे सैटेलाइट के माध्यम से रेस्क्यू सेंटर या आपातकालीन सेवा तक पहुंचता है।
Huawei Mate 50 Pro – SMS via Satellite SMS via Satellite:
बिना नेटवर्क के मैसेजिंग का नया तरीका जब मोबाइल नेटवर्क नहीं होता, तब SMS via Satellite आपकी मदद करता है। ये तकनीक आपको बिना किसी टावर के सीधे सैटेलाइट के ज़रिए मैसेज भेजने की सुविधा देती है।
Google Pixel 10 + WhatsApp Satellite Calling
Google ने घोषणा की है कि Pixel 10 सीरीज़ वो पहले स्मार्टफोन होंगे जो WhatsApp कॉल (voice & video) satellite connectivity के जरिए सपोर्ट करेंगे।
कैसे काम करेगा?
- यदि आप उस क्षेत्र में हों जहाँ cellular network या Wi-Fi न हो
- आपके Pixel 10 (Pro / Pro XL) फोन satellite से connect करेगा
- आप WhatsApp से कॉल करेंगे, जो satellite नेटवर्क से होकर route होगी
- यह फीचर 28 अगस्त 2025 से एक्टिव हो गया है ।
- ध्यान दें: केवल select carriers ही इसे सपोर्ट करेंगे, और इसका extra charges भी हो सकता है
अब तक जो Android ब्रांड्स SOS या SMS via Satellite फीचर पेश कर चुके हैं या जल्द पेश करने वाले हैं, उनमें प्रमुख हैं:
1. Huawei – Mate 50 Pro में SMS via Satellite फीचर है।
2. Samsung – Galaxy S23 Ultra में Satellite SOS (Emergency) फीचर आने वाला है।
3. Xiaomi – कुछ लेटेस्ट मॉडल्स में Satellite Communication पर काम चल रहा है, जल्द लॉन्च हो सकता है।
4. Oppo और Vivo – इन ब्रांड्स ने भी Satellite SOS /Connectivity टेक्नोलॉजी में निवेश किया है और फीचर आने की संभावना है।
5. Google Pixel –
- Pixel Watch 4 में भी independent emergency messaging की सुविधा जुड़ी है
- Pixel 9 Series : पहले Android phones जिनमें Satellite SOS आया है
- Pixel 10 में satellite-based location sharing feature भी पेश किया गया है
वास्तव में, Iridium नेटवर्क इस तकनीक के पीछे मुख्य भूमिका निभा रहा है। उधर, भारत भी ISRO और प्राइवेट कंपनियों की मदद से इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ध्यान दें: – ये फीचर्स अभी भारत में सीमित रूप से उपलब्ध हैं। – ज्यादातर SOS/ SMS फीचर्स इमरजेंसी के लिए ही होते हैं, सामान्य कॉलिंग/मैसेजिंग के लिए नहीं। Source https://www.reddit.com//r/GooglePixel/comments/1lnb89n?utm_source=chatgpt.com
भविष्य में Satellite Calling कैसे और बेहतर होगी? (AI, 6G, और नए innovations के साथ)
Satellite Calling अभी भी एक developing technology है, लेकिन आने वाले सालों में इसमें जबरदस्त बदलाव होने वाले हैं। आइए आसान भाषा में समझते हैं कि AI, 6G, और modern tech की वजह से यह कैसे evolve होगी:-
🌐 1. 6G और Satellite Integration–
6G सिर्फ तेज़ इंटरनेट नहीं देगा, बल्कि यह Non-Terrestrial Networks (NTNs) को भी सपोर्ट करेगा
- यानी satellites, drones, balloons, आदि के ज़रिए कनेक्टिविटी।
- मतलब: 6G के ज़रिए मोबाइल और satellite network एक साथ seamlessly काम करेंगे।
- इससे voice call, video call और real-time messaging बिना किसी interruption के चल सकेगा।
➡ Impact : Future में satellite calling बिल्कुल cellular calling जितनी smooth और fast हो जाएगी।
🧠 2. AI से Signal Routing और Quality Boost होगी
AI real-time में देखेगा:-
- किस satellite से बेहतर सिग्नल मिलेगा?
- किस region में network load कम है?
- कॉल ड्रॉप की संभावना कहाँ ज़्यादा है?
AI-based smart routing की मदद से कॉल quality बेहतर होगी और latency कम होगी।
➡ Impact : AI आपके कॉल को best path से route करेगा, जिससे noise, delay और कॉल ड्रॉप की समस्या कम होगी।
☁️ 3. Low-Cost & Compact Satellite Devices
– पहले satellite phones भारी और महंगे होते थे।
– अब smartphone brands (जैसे Google Pixel, Apple, Huawei) satellite chips inbuilt कर रहे हैं।
– आने वाले वर्षों में हर मध्यम कीमत के phone में satellite feature आ सकता है।
➡ Impact: Satellite calling केवल अमीर लोगों या army तक सीमित नहीं रहेगी — आम लोगों की जेब में भी होगी।
🛰️ 4. Mega-Constellations (जैसे Starlink, Amazon Kuiper)
इसका का मतलब है: *सैकड़ों या हजारों छोटे satellites का एक group*, जो Low Earth Orbit (LEO) में पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं और मिलकर एक मजबूत global network बनाते हैं।
- ये हजारों Low Earth Orbit (LEO) satellites launch हो रहे हैं।
- जो global coverage देंगे — और latency (मान लीजिए आपने “Hello” कहा और दूसरी तरफ वाले को वो आवाज़ 1 सेकंड बाद सुनाई दी — तो आपकी latency 1 सेकंड है)भी कम होगी क्योंकि ये satellites धरती के ज्यादा पास होते हैं।
- Voice calling के साथ-साथ high-speed satellite internet भी मिलेगा।
➡ Impact : Remote area में भी video call, file sharing, cloud sync [आपके डिवाइस (जैसे मोबाइल, लैपटॉप) का डेटा internet के ज़रिए एक cloud server पर save और auto-update होता रहे]सब कुछ संभव होगा।
🔐 5. बेहतर सुरक्षा और Encryption
– Military-grade encryption सभी satellite communications में स्टैंडर्ड बन सकती है।
– AI-based threat detection सिस्टम कॉल या डेटा breach की पहचान कर सकेंगे।
➡ Impact: Personal, govt, और business level communication पहले से ज्यादा सुरक्षित होंगे।
🗣️ 6. Multimodal Communication — Text, Voice, Video, AI-chat–
Satellite Calling सिर्फ voice call तक सीमित नहीं रहेगी।
– भविष्य में text, video, और real-time AI translation जैसे features भी satellite नेटवर्क पर संभव होंगे।
भारत में इस के लिए किस सैटेलाइट का उपयोग होता है?
भारत का अभी तक खुद का dedicated Satellite Calling नेटवर्क नहीं है, लेकिन भारत के उपग्रह और नेटवर्क निम्नलिखित हैं:-

Satellite Calling
- GSAT सीरीज: भारत के GEO (Geostationary) सैटेलाइट्स, मुख्यतः दूरसंचार और टीवी ब्रॉडकास्टिंग के लिए।
- RISAT और Cartosat: अधिकतर निगरानी और रिमोट सेंसिंग के लिए।
भारत में इस के लिए आमतौर पर Iridium या Inmarsat जैसे ग्लोबल नेटवर्क्स का उपयोग होता है, खासकर आपातकालीन सेवाओं और सेना के लिए।
नोट: भारत अपने खुद के LEO नेटवर्क पर काम कर रहा है, लेकिन अभी तक वह कमर्शियल SOS/SMS सुविधा उपलब्ध नहीं करा पाया है।
फोन नेटवर्क ढूंढता है:
अगर आपके फोन में यह फीचर है तब जब आपके फोन को कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं मिल रहा हो, तो वह अपने आप ही Satellite Mode में शिफ्ट होकर Satellite की मदद से call करता है ।
डेटा ट्रांसफर:
यदि आप इस Calling सुविधा से कॉल या SOS मैसेज भेजते हैं, तो ये सीधे सैटेलाइट तक पहुंचता है। फिर सैटेलाइट इस सिग्नल को दूसरे स्टेशन या रिसीवर तक पहुंचाता है
जैसे आपातकालीन सेवाएं (Emergency Services) या आपके फोन पर जो भी व्यक्ति है। मतलब, आपका संदेश बिना मोबाइल नेटवर्क के भी सही जगह तक सुरक्षित तरीके से पहुँच जाता है।
🛠️ किसे इसकी ज़रूरत होती है?
- ट्रेकर, हाइकर, ट्रैवलर जो दूर-दराज इलाकों में जाते हैं
- सेनाएं और आपातकालीन सेवाएं
- नाविक और समुद्र में काम करने वाले लोग
- ग्रामीण या नेटवर्क-विहीन इलाकों के निवासी—
🚫 सीमाएं-
- कॉल की क्वालिटी नेटवर्क कॉल जितनी अच्छी नहीं होती।
- अभी यह सुविधा हर देश में उपलब्ध नहीं है (भारत में भी सीमित है)
- ज़्यादातर फीचर इमरजेंसी के लिए है, रेगुलर कॉलिंग के लिए नहीं
- Satellite फोन या plans महंगे हो सकते हैं-
🔮 भविष्य में जैसे-जैसे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी सस्ती और बेहतर होगी, ये फीचर ज्यादा से ज्यादा मोबाइल में स्टैण्डर्ड बन जाएगा — और शायद एक दिन मोबाइल नेटवर्क की ज़रूरत ही खत्म हो जाए।
Conclusion: ये अब सिर्फ साइंस फिक्शन नहीं रहा। कई Android ब्रांड्स इस फीचर को अपने फोन में ला रहे हैं। अगर आप ऑफ-रोड ट्रैवल, एडवेंचर या इमरजेंसी के लिए फोन लेना चाह रहे हैं, तो इन फोनों को ज़रूर देखें।
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