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जाने तंबाकू और सिगरेट से होने वाले कैंसर के शुरुआती लक्षण – बचाए जान

कैंसर के शुरुआती लक्षण की पहचान का असली महत्व, जितनी जल्दी इसका पता चलता है, उतनी जल्दी इसका इलाज शुरू होता है, और जीवन बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

भारत में तंबाकू का सेवन एक गहरी जड़ें जमाई हुई सामाजिक समस्या है। चाहे वह सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी, जर्दा या पान मसाला के रूप में हो | लाखों लोग इसे रोज़मर्रा की आदत बना चुके हैं। लेकिन यह “आदत” धीरे-धीरे एक मौत का सौदा बन जाती है।

रूस ने दावा किया है कि उन्होंने एक व्यक्तिगत mRNA-वैक्सीन विकसित की है जो कैंसर रोगियों के लिए उपयोगी हो सकती है।

यू.एस. में भी कैंसर के इलाज और प्रतिरक्षा-उपचार (immunotherapy) में बहुत प्रगति हुई है।

उदाहरण के लिए, इस तरह की वैक्सीनें अभी क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं, लेकिन व्यापक रूप से “कैंसर का इलाज हो गया” यह कहने योग्य स्तर पर अभी इसका विकास नही हुआ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तंबाकू का सेवन करने वालों में कैंसर की संभावना कम से कम 15 गुना तक बढ़ जाती है। विशेष रूप से, यह मुँह, गले और फेफड़ों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है।

कैंसर के शुरुआती लक्षण

इस ब्लॉग में हम सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, खैनी, जर्दा या पान मसाला से विशेष रूप से प्रभावित होने वाले दो Cancer पर विस्तार से चर्चा करेंगे ।

  1. मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षण (Early Symptoms of Oral Cancer)
  2. गले और फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण (Main Causes)

मुँह के कैंसर के शुरुआती लक्षण (Early Symptoms of Oral Cancer)

मुँह का कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है, इसलिए शुरुआती लक्षण बहुत मामूली लगते हैं, लेकिन इन्हें पहचानना बहुत ज़रूरी है । क्योंकि इसका समय रहते पता चलने पर इसका इलाज पूरी तरह संभव है।

1. मुँह में सफेद या लाल धब्बे

अगर मुँह के अंदर (जैसे जीभ, होंठ या गाल के अंदर) सफेद या लाल निशान बने रहते हैं,और कई हफ्तों तक ठीक नहीं होते,तो ये कैंसर की शुरुआती चेतावनी हो सकती है।

इन धब्बों को डॉक्टर “लीयूकोप्लाकिया (Leukoplakia)” या “एरिथ्रोप्लाकिया (Erythroplakia)” कहते हैं।

याद रखें: दर्द नहीं होने का मतलब ये नहीं कि सब ठीक है । बिना दर्द के धब्बे भी खतरनाक हो सकते हैं।

2. मुँह के अंदर घाव या छाले जो नहीं भरते

सामान्य छाले 7–10 दिन में ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर कोई घाव या छाला 2–3 हफ्ते से ज़्यादा समय तक न भरे,तो ये कैंसर का शुरुआती संकेत हो सकता है।

3. मुँह से खून आना या गांठ महसूस होना

अगर किसी जगह से बार-बार खून आता है या अंदर कोई गांठ/सूजन महसूस होती है,तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।

4. मुँह खोलने में दिक्कत या जबड़े में जकड़न

जब कैंसर आसपास के ऊतकों में फैलने लगता है, तब जबड़ा सख्त हो जाता है और मुँह खोलना मुश्किल हो जाता है।

5. जीभ या मुँह में सुन्नपन या जलन

तंबाकू के ज़हरीले रसायन नसों को नुकसान पहुँचाते हैं। इससे जीभ की संवेदना कम हो जाती है, या हमेशा जलन महसूस होती है।

6. आवाज़ बदलना या बोलने में कठिनाई

अगर मुँह या गले के ऊतक प्रभावित हों,तो आवाज़ भारी, कर्कश या अस्पष्ट हो सकती है।

मुँह के कैंसर की पहचान कैसे होती है (Diagnosis)

अगर ऊपर बताए लक्षण लंबे समय तक रहें, तो डॉक्टर से मिलना बहुत ज़रूरी है।

डॉक्टर कुछ ज़रूरी जांचें करते हैं

1. शारीरिक जांच (Physical Examination):

मुँह, जीभ, गले और गर्दन को ध्यान से देखकर गांठ या घाव की जांच की जाती है।

2. बायोप्सी (Biopsy):

मुँह के संदिग्ध हिस्से से ऊतक का छोटा टुकड़ा लेकर लैब में जांच की जाती है। इससे पता चलता है कि कैंसर है या नहीं।

3. इमेजिंग जांच (X-Ray, CT Scan या MRI):

इससे देखा जाता है कि कैंसर कितनी गहराई तक फैला है।

मुँह के कैंसर के चरण (Stages of Oral Cancer)

मुँह का कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है, इसलिए डॉक्टर इसे 4 चरणों में बाँटते हैं — ताकि इलाज तय किया जा सके।

पहला चरण (Stage I):

यह कैंसर बहुत छोटा होता है (लगभग 2 सेंटीमीटर से कम) यह केवल एक ही जगह पर होता है, और आसपास नहीं फैला होता। इस स्टेज में इलाज आसान और पूरी तरह सफल हो सकता है।

दूसरा चरण (Stage II):

इसमें ट्यूमर थोड़ा बड़ा (2–4 सेमी) हो जाता है, लेकिन अभी भी लिम्फ नोड्स या अन्य हिस्सों तक फैला नही होता। इस अवस्था में भी सर्जरी या रेडियोथेरेपी से पूरी तरह इलाज संभव है।

तीसरा चरण (Stage III):

यह कैंसर अब पास के लिम्फ नोड्स (गर्दन के ग्रंथियों) तक फैलना शुरू कर देता है। अब इलाज में सर्जरी के साथ रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी की ज़रूरत पड़ती है।

चौथा चरण (Stage IV):

कैंसर अब दूर के अंगों (जैसे फेफड़े या हड्डियाँ) तक फैल चुका होता है। इस स्टेज में इलाज कठिन होता है, लेकिन कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सहायक उपचार से दर्द और तकलीफ को नियंत्रित किया जा सकता है।

इलाज के प्रमुख तरीके (Treatment Methods)

1. तंबाकू तुरंत छोड़ना

यह सबसे ज़रूरी कदम है। तंबाकू छोड़ने के बाद शरीर की कोशिकाएँ खुद की मरम्मत शुरू कर देती हैं।

2. सर्जरी (Operation)

अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में है, तो कैंसर वाला हिस्सा काटकर निकाल दिया जाता है। कई बार आसपास के लिम्फ नोड्स भी हटाने पड़ते हैं।

3. रेडियोथेरेपी (Radiation Treatment)

इसमें उच्च-ऊर्जा किरणों से कैंसर कोशिकाओं को मारा जाता है। यह तरीका सर्जरी के बाद या शुरुआती स्टेज में अकेले भी इस्तेमाल होता है।

4. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

इसमें दवाओं के इंजेक्शन से पूरे शरीर में कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की कोशिश की जाती है। यह तब दी जाती है जब कैंसर फैल चुका हो।

5. संयुक्त उपचार (Combined Therapy)

कई बार डॉक्टर सर्जरी + रेडियोथेरेपी + कीमोथेरेपी तीनों को मिलाकर इलाज करते हैं ताकि परिणाम बेहतर हों।

मुँह के कैंसर से बचाव (Prevention Tips)

1. तंबाकू और शराब पूरी तरह छोड़ें।

2. मुँह की सफाई रोज़ करें (दिन में 2 बार ब्रश, कुल्ला, जीभ साफ़ करें)।

3. पौष्टिक आहार लें: विटामिन A, C, E से भरपूर चीज़ें — जैसे गाजर, नींबू, टमाटर, पालक।

4. हर 6 महीने में डेंटल या डॉक्टर से चेकअप कराएँ।

5. सूरज की ज़्यादा रोशनी से होंठों को बचाएँ (लिप बाम का इस्तेमाल करें)।

6. किसी भी घाव, धब्बे या छाले को हल्के में न लें।

याद रखें

मुँह का कैंसर धीरे शुरू होता है, पर तेजी से फैलता है।लेकिन अगर समय पर पहचान और इलाज हो जाए,तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। “तंबाकू छोड़ना मुश्किल है,पर कैंसर झेलना उससे कई गुना कठिन।”

भाग 2: गले और फेफड़ों का कैंसर – कारण, लक्षण और पहचान

गले और फेफड़ों के कैंसर का परिचयगले और फेफड़ों का कैंसर ज़्यादातर धूम्रपान (सिगरेट या बीड़ी) करने वालों में पाया जाता है।

जब व्यक्ति बार-बार तंबाकू या सिगरेट का धुआँ अंदर खींचता है, तो उसमें मौजूद हानिकारक रसायन (टार, निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि) फेफड़ों और गले की कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं। धीरे-धीरे ये कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, और यही कैंसर का रूप ले लेती हैं।

गले और फेफड़ों के कैंसर के प्रमुख कारण (Main Causes)

1. धूम्रपान (Smoking)

सिगरेट या बीड़ी का हर कश फेफड़ों में हजारों ज़हरीले रसायन पहुँचाता है।यह कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।

2. प्रदूषण और धूल-धुआँ

लंबे समय तक धुएँ, धूल, या रसायनिक गैसों में रहना फेफड़ों को कमजोर करता है।

3. शराब और तंबाकू का एक साथ सेवन

दोनों मिलकर शरीर में कैंसरकारी असर (Carcinogenic effect) बढ़ा देते हैं।

4. वंशानुगत प्रवृत्ति (Genetic tendency)

अगर परिवार में पहले किसी को फेफड़ों या गले का कैंसर हुआ है,तो दूसरे सदस्यों में भी जोखिम बढ़ जाता है।

5. कमज़ोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Weak Immunity)

शरीर जब कमजोर होता है तो वह कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ नहीं पाता।

गले और फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण (Early Symptoms)

शुरुआत में ये लक्षण सर्दी, खांसी या थकान जैसे लगते हैं, इसलिए लोग इन्हें गंभीरता से नहीं लेते , यही सबसे बड़ी गलती होती है।

ध्यान दें अगर 👇

1. लगातार खांसी

3 हफ्तों से ज़्यादा चलने वाली सूखी या बलगमी खांसीसामान्य दवाओं से भी ठीक न हो।

2. खांसी में खून आना

फेफड़ों या गले में ट्यूमर बनने पर यह लक्षण आम है।

3. सांस लेने में तकलीफ (Breathlessness)

ट्यूमर बढ़ने से श्वासनली संकरी हो जाती है, जिससे सांस फूलने लगती है।

4. छाती में दर्द या भारीपन

फेफड़ों की दीवारों पर दबाव या सूजन के कारण दर्द महसूस होता है।

5. आवाज़ में बदलाव

गले की वोकल कॉर्ड पर असर होने से आवाज़ भारी, कर्कश या अस्पष्ट हो जाती है।

6. वज़न का तेजी से कम होना और थकान रहना

शरीर की ऊर्जा कैंसर से लड़ने में खर्च हो जाती है।

7. गले या गर्दन में गांठ बनना

यह संकेत है कि कैंसर लिम्फ नोड्स तक फैल चुका है।

पहचान कैसे की जाती है (Diagnosis)अगर ऊपर दिए लक्षण लंबे समय तक बने रहें,तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाना चाहिए।

मुख्य जांचें

1. एक्स-रे या सीटी स्कैन (CT Scan):

इससे फेफड़ों में बने ट्यूमर या किसी असामान्य बदलाव को देखा जाता है।

2. स्पूटम टेस्ट (Sputum Test):

बलगम की जांच की जाती है कि उसमें कैंसर कोशिकाएँ हैं या नहीं।

3. बायोप्सी (Biopsy):

फेफड़े या गले के ऊतक का नमूना लेकर माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।

4.लैरिंगोस्कोपी (Laryngoscopy):

एक कैमरे की मदद से गले के अंदर देखा जाता है कि ट्यूमर कहाँ है और कितना बड़ा है।

इलाज के प्रमुख तरीके (Treatment Options)

1. धूम्रपान और तंबाकू तुरंत छोड़ें

बीमारी की गति धीमी हो जाती है और इलाज ज़्यादा प्रभावी बनता है।

2. सर्जरी (Operation):

शुरुआती अवस्था में कैंसर वाले हिस्से को निकाल दिया जाता है।

3. रेडियोथेरेपी (Radiation):

हाई-एनर्जी किरणों से कैंसर कोशिकाएँ मारी जाती हैं।

4. कीमोथेरेपी (Chemotherapy):

दवाओं के इंजेक्शन से पूरे शरीर में फैले कैंसर को नियंत्रित किया जाता है।

5. स्वस्थ जीवनशैली (Healthy Lifestyle):

पौष्टिक आहार, ताज़ी हवा, और नियमित व्यायाम से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

विशेषज्ञों की सलाह

  • किसी भी रूप में तंबाकू या धूम्रपान बंद करें।
  • हर 6 महीने में डॉक्टर से जांच कराएँ।
  • गले और फेफड़ों की सफाई और स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
  • प्रदूषण वाले माहौल में मास्क का प्रयोग करें।
  • विटामिन A, C, E से भरपूर आहार लें, जैसे : गाजर, नींबू, टमाटर, पालक, संतरा।

निष्कर्ष

तंबाकू या सिगरेट कुछ पल का सुख ज़रूर देते हैं,लेकिन यह शरीर के लिए धीरे-धीरे ज़हर बन जाते हैं।गले और फेफड़ों का कैंसर धीरे शुरू होता है, पर समय रहते पहचान और इलाज से पूरी तरह रोका जा सकता है।

“सिगरेट बुझाने में 5 सेकंड लगते हैं,लेकिन इसका ज़हर ज़िंदगी को बुझा देता है।”


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