इस ब्लॉग में जानें दिवाली 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पांच दिवसीय पर्व और दिवाली का आध्यात्मिक एवं आर्थिक महत्व।
🌟 परिचय :
“दिवाली — प्रकाश और उल्लास का त्योहार — हर वर्ष लोगों के जीवन में खुशियाँ ले आता है। यह त्योहार केवल दीपों का नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और नए आरंभ का प्रतीक है।“
इस वर्ष 2025 में दिवाली की तारीख को लेकर लोगो मे मतभेद हैं — कुछ स्रोत इसे 20 अक्टूबर कहते हैं, तो कुछ 21 अक्टूबर। इस ब्लॉग में हम उस उलझन को सुलझाएंगे, साथ ही दिवाली के प्रत्येक दिन, पूजा विधि, शुभ-अशुभ मुहूर्त, और उपयोगी सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
नोट: समय, मुहूर्त और तिथियाँ प्रत्येक नगर / क्षेत्र (city / region) के अनुसार भिन्न हो सकती है । कृपया अपने स्थानीय पंचांग की पुष्टि अवश्य करें।
दिवाली वर्ष 2025: तारीख और विवाद
1.1 ज्योतिषी के माने तो 20 अक्टूबर को ही दिवाली है, और उस दिन शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक लक्ष्मी‑गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है, परंतु अमावस्या और सूर्यास्त के समय के अनुसार कुछ स्थानों पर 21 अक्टूबर को भी दिवाली मनाई जा सकती है। हमारा सुझाव यह है कि आप अपने समय व स्थान के अनुसार अपना निर्णय लें।
1.2 पंचांग डेटा (अमावस्या अवधि)- अमावस्या, जो दिवाली की मुख्य तिथि है, 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:45 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर 2025 की शाम 5:55 बजे तक चलेगी।
- इसी दौरान चिकित्सा, पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों के मुहूर्त निर्धारित होंगे।
- अधिकतर क्षेत्र 20 अक्टूबर की शाम को दिवाली मनाने की स्थिति में हैं, क्योंकि उस दिन सूर्यास्त पहले होता है।
पाँचों दिनों के शुभ और अशुभ समय (तिथि अनुसार) दिए जा रहे हैं ताकि आप पूजन, खरीदारी और अनुष्ठान सही समय पर कर सकें:
🪙 1. धनतेरस (18 अक्टूबर 2025, शनिवार)
- शुभ समय (पूजन / खरीदारी): – प्रदोष काल: 5:46 PM – 8:16 PM
- शाम का शुभ मुहूर्त: 7:00 PM – 8:15 PM – सोना, बर्तन, वाहन, औषधि आदि की खरीदारी इसी समय करें।
अशुभ समय: – राहु काल: सुबह 9:00 AM – 10:30 AM (खरीदारी से बचें)
🌑 2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली (19 अक्टूबर 2025, रविवार)
शुभ समय (अभ्यंग स्नान / दीपदान): – ब्रह्म मुहूर्त स्नान: सुबह 4:45 AM – 6:15 AM
दीपदान / पूजन: शाम 6:00 PM – 8:00 PM
अशुभ समय: – राहु काल: शाम 4:30 PM – 6:00 PM
🪔 3. मुख्य दिवाली / लक्ष्मी पूजन (20 अक्टूबर 2025, सोमवार)
शुभ समय: – लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: 7:08 PM – 8:18 PM
प्रदोष काल: 5:46 PM – 8:18 PM
निशिता काल:11:41 PM – 12:31 AM (तांत्रिक पूजन / विशेष मंत्रजाप हेतु)
अशुभ समय: – राहु काल: सुबह 7:30 AM – 9:00 AM
🌿 4. गोवर्धन पूजा / अन्नकूट (21 अक्टूबर 2025, मंगलवार)
शुभ समय:- प्रातः पूजन: 6:30 AM – 9:00 AM
अन्य पूजन व अन्नकूट: दिनभर शुभ, विशेषत: दोपहर 12:00 PM – 2:00 PM
अशुभ समय: – राहु काल: दोपहर 3:00 PM – 4:30 PM
🤝 5. भाई दूज (22 अक्टूबर 2025, बुधवार)*
शुभ समय (तिलक व भोज):सुबह: 10:00 AM – 12:00 PM, दोपहर: 1:30 PM – 3:00 PM
अशुभ समय: राहु काल: दोपहर 12:00 PM – 1:30 PM
टिप:
स्थानीय पंचांग और पंडित जी की सलाह के अनुसार थोड़ा समय आगे-पीछे हो सकता है।
अगर चाहें तो मैं इसे ब्लॉग ब्लॉक या पीडीएफ के रूप में भी तैयार कर सकता हूँ।

दिवाली के पाँच दिन क्या होते हैं और हर दिन का क्या महत्व होता है:-
🔸 1. धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025- इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। मान्यता: इस दिन बर्तन, सोना-चांदी, या अन्य धन-संबंधी चीज़ें खरीदना शुभ माना जाता है।
क्यों है खास? यह दिन समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए होता है।
🔸 2. नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली – 19 अक्टूबर 2025- इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।
लोग स्नान कर आत्मशुद्धि, तिल से उबटन और दान-पुण्य करते हैं। इसे छोटी दिवाली कहा जाता है, और घर में दीप जलाने की परंपरा भी इसी दिन से शुरू होती है।
🔸 3. दिवाली / लक्ष्मी पूजन – 20 अक्टूबर 2025 (रात को) यह मुख्य दिवाली है — अमावस्या की रात को मनाई जाती है। माता लक्ष्मी (धन की देवी) और भगवान गणेश की पूजा होती है। – दीपक, पटाखे, मिठाई, सजावट, और एक नई शुरुआत का प्रतीक है यह दिन।
🔸 4.गोवर्धन पूजा / अन्नकूट – 21 अक्टूबर 2025- इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा मनाई जाती है।
4. पूजा विधि: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन एक शुभ और पारंपरिक क्रिया है, जिसे सही विधि से करने पर सकारात्मक ऊर्जा, धन और सुख-शांति प्राप्त होती है। नीचे पूरी पूजा प्रक्रिया दी गई है:-
4.1 तैयारी:
1. घर की सफाई: दिवाली से पहले पूरे घर की सफाई करें — खासकर पूजा स्थान। साफ-सुथरा वातावरण मां लक्ष्मी को प्रिय होता है।
2. सजावट: रंगोली बनाएं, फूलों से सजाएं, अगरबत्ती और दीपक लगाएं। घर को आकर्षक, शांतिपूर्ण और पवित्र बनाएं।
3. पूजा स्थान का निर्धारण: पूजा स्थल पूर्व (East) या उत्तर-पूर्व (North-East) दिशा में हो। वहां चौकी बिछाएं और लाल या पीले कपड़े से ढंकें।
4.2 मूर्तियाँ और सामग्री:
1. मूर्ति स्थापना: – मां लक्ष्मी (धन की देवी) – श्री गणेश (विघ्नहर्ता) – भगवान कुबेर (धन के रक्षक) इनकी मूर्तियाँ या चित्र चौकी पर स्थापित करें।
2. अन्य सामग्री:- फूल, अक्षत (चावल), कपूर, दीपक, धूप, मिठाई, बताशे, नारियल, पंचामृत आदि पहले से तैयार रखें।
4.3 पूजा विधि:
1. संकल्प लें: मन में भगवान को प्रसन्न करने का भाव लेकर पूजा का संकल्प करें।
2. पूजन आरंभ करें: – सबसे पहले श्री गणेश का पूजन करें — उन्हें हल्दी, अक्षत, पुष्प, जल आदि अर्पित करें।फिर मां लक्ष्मी की पूजा करें — उन्हें कमल पुष्प, मिठाई, चावल, वस्त्र आदि चढ़ाएं।
3.मंत्र जाप: इन मंत्रों का जप करें: – ॐ लक्ष्म्यै नमः – ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः – ॐ गणपतये नमः
4.आरती करें: दीप जलाकर मां लक्ष्मी और श्री गणेश की आरती गाएं। कपूर जलाकर आरती घुमाएं।
5. प्रसाद अर्पण: मिठाई, फल, और बताशे चढ़ाएं, फिर सभी परिवारजन प्रसाद ग्रहण करें।
6. दीप प्रज्वलन: घर के हर कोने में दीपक जलाएं — मुख्य दीप पहले पूजा स्थान पर जलाएं।
7. यदि संभव हो तो: हवन, लक्ष्मी यज्ञ या किसी ब्राह्मण से विधिवत पूजन कराना लाभकारी होता है।
अन्य सुझाव:- पूजा के समय मोबाइल, टीवी बंद रखें — पूरा ध्यान भक्ति में दें। परिवार के सभी सदस्य पूजा में सम्मिलित हों। पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान देना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
नोट: यदि किसी सामग्री की अनुपस्थिति हो, तो भावपूर्वक पूजा करें — श्रद्धा सर्वोपरि है।
5. दिवाली का अर्थ: एक व्यापक दृष्टिकोण से समझें
5.1 आध्यात्मिक मूल्य (Spiritual Significance)- अंधकार पर प्रकाश की विजय: दिवाली हमें सिखाती है कि ज्ञान, प्रेम और विश्वास से हम जीवन के अंधकार (अज्ञान, भय, नकारात्मकता) को हरा सकते हैं।
नया आरंभ और आत्मशुद्धि: यह आत्ममंथन और जीवन को नए सिरे से शुरू करने का समय होता है — मन, घर और विचारों की सफाई।
ध्यान और भक्ति: इस समय ध्यान, साधना और देवी लक्ष्मी की पूजा से मन को शांति और आत्मा को ऊर्जा मिलती है।—
5.2 सामाजिक सामंजस्य (Social Harmony)– सम्बंधों को मज़बूती: दिवाली पर लोग रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों से मिलते हैं, उपहार देते हैं — इससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।
साझा खुशी: मिल-जुलकर मिठाई खाना, घर सजाना, दीप जलाना — यह साझा आनंद और उत्सव की भावना को बढ़ाता है।
परंपराओं का आदर: पीढ़ियों से चली आ रही परंपराएं, जैसे घर की सफाई, लक्ष्मी पूजन, पटाखे, सामाजिक संस्कृति को जीवंत बनाए रखती है।
5.3 आर्थिक दृष्टिकोण (Economic Aspect)
इस दिन शेयर बाजार में मुहूर्त ट्रेडिंग की परंपरा है — इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
संपत्ति और निवेश: लोग इस दिन सोना, चांदी, वाहन, बर्तन या संपत्ति खरीदते हैं — ताकि वह समृद्धि लेकर आए।
व्यवसायिक नई शुरुआत: व्यापारी नई खाता-बही (बहीखाता) शुरू करते हैं। नए व्यवसाय या दुकान की शुरुआत करने का आदर्श समय होता है।
टिप: निवेश करते समय भावनाओं में बहकर नहीं, सोच-समझकर और विशेषज्ञ सलाह के अनुसार निर्णय लें।—इस तरह दिवाली सिर्फ पूजा या परंपरा तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू को छूने वाला एक सम्पूर्ण पर्व है — जो *आत्मिक ऊर्जा*, *सामाजिक प्रेम* और *आर्थिक समृद्धि* का संगम है।
6. मिथक और लोकविश्वास (Myths & Folk Beliefs) : समाज में फैले कुछ मिथक और लोक मान्यताओं को भी समझना ज़रूरी है:—
1. पटाखों का सीमित उपयोग- क्यों ज़रूरी है? : पटाखे जलाने से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जिससे बुज़ुर्गों, बच्चों और जानवरों को तकलीफ हो सकती है।
क्या करें:- ग्रीन क्रैकर्स का इस्तेमाल करें , निर्धारित समय पर और खुले स्थान पर ही पटाखे जलाएं, दिल की बीमारी, दमा या एलर्जी वाले लोगों के लिए सतर्क रहें |
2. मिथक और अपेक्षाएँ–
मिथक: कई लोग मानते हैं कि एक रात की पूजा से सब कुछ बदल जाएगा, या भगवान लक्ष्मी तुरंत प्रसन्न हो जाएंगे।
सच्चाई: दिवाली की पूजा एक सकारात्मक ऊर्जा का बीज है, लेकिन इसका प्रभाव तभी होगा जब आप पूरे साल कर्म, श्रद्धा और ईमानदारी से जीवन जिए।
3. उपयोगी नियम और शिष्टाचार-
क्या ध्यान रखें: सुरक्षा उपाय अपनाएं — आग, बिजली और पटाखों से सतर्क रहें, रात को घर बंद रखें और अनजान लोगों से सतर्क रहें, सामाजिक मर्यादा बनाए रखें — शराब, तेज़ संगीत, झगड़े आदि से बचें
4. लोकविश्वास (Folk Beliefs): भारत में दिवाली से जुड़े कई पारंपरिक विश्वास हैं:-
नया धन लेना शुभ: कहा जाता है कि दिवाली के दिन किसी से पैसे लेना शुभ नहीं होता, पर नया धन आना (जैसे वेतन, बोनस, उपहार) पूरे साल समृद्धि लाता है।
दीपक बिखेरना: घर के हर कोने में दीपक रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैऔर घर में शांति और लक्ष्मी का वास होता है।
7. निष्कर्ष एवं सुझाव (Conclusion & Suggestions)
इस बार दिवाली कुछ खास ज्योतिषीय संयोगों और तिथि विवाद के साथ आ रही है। 20 अक्टूबर को अधिकतर स्थानों पर दिवाली मनाई जाएगी, लेकिन कुछ पंचांगों और क्षेत्रों में 21 अक्टूबर का भी उल्लेख है। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने स्थान के अनुसार ही पूजा का समय तय करें।
तिथि में भ्रम न रखें: हर राज्य या शहर का सूर्यास्त समय और मुहूर्त अलग हो सकता है। इसलिए अपने स्थानीय पंचांग या किसी विश्वसनीय ज्योतिषी की सलाह ज़रूर लें।-
शुद्धता और श्रद्धा प्राथमिक हैं: केवल मुहूर्त नहीं, बल्कि आपका मन, साफ-सफाई और श्रद्धा सबसे ज़रूरी होती है। कोई मंत्र छूट जाए तो चिंता न करें — भावना सच्ची होनी चाहिए।
नए कार्य शुभ मुहूर्त में शुरू करें: जैसे व्यापार, संपत्ति खरीद, निवेश आदि — कोशिश करें कि लक्ष्मी पूजन के शुभ समय में ही ये काम हों।
सुरक्षा और पर्यावरण का ध्यान रखें: दीये, पटाखे या बिजली की सजावट में सावधानी बरतें। कम प्रदूषण, अधिक रोशनी और जिम्मेदार आनंद ही सच्चे अर्थों में दिवाली बनाते हैं।
अंत में: दिवाली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, परिवारिक मेलजोल, और एक नई शुरुआत का अवसर है। इसे हर्षोल्लास, सुरक्षा और श्रद्धा से मनाएं।
Citations:
- The Economic Times: economictimes.indiatimes.com/news/new-updates/diwali-2025-date-on-october-20-or-21-check-panchang-dates-of-all-deepawali-festivals-including-dhanteras-govardhan-bhai-dooj-here/articleshow/124446869.cms?from=mdr&utm_source=chatgpt.com
- ABP Live: news.abplive.com/religion/diwali-2025-when-is-diwali-in-2025-know-date-muhurat-and-all-about-laxmi-puja-for-next-year-s-celebration-1730800?utm_source=chatgpt.com
- ABP Live: news.abplive.com/religion/when-is-diwali-in-2025-date-puja-muhurat-auspicious-rituals-lakshmi-puja-1799916?utm_source=chatgpt.com
- The Daily Jagran: www.thedailyjagran.com/spiritual/diwali-2025-date-is-diwali-puja-on-20th-or-21st-october-2025-know-correct-date-muhurat-other-details-10272477?utm_source=chatgpt.com
- adotrip.com: www.adotrip.com/festival-detail/diwali?utm_source=chatgpt.com
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